कमला सोहोनी एक भारतीय जैव रसायनज्ञ थीं जिन्होंने 1939 में वैज्ञानिक अध्ययन के क्षेत्र में प्रथम भारतीय महिला के रूप में डॉ0 पी0एच0डी0 प्राप्त किया। उनका भारतीय वैज्ञानिक संस्थान, बेंगलुरु, में स्वीकृति और कार्य महिलाओं को संस्थान में स्वीकार करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
कमला सोहोनी की जीवनी- Kamala Sohonie Biography in Hindi
कमला सोहोनी का जन्म मध्य प्रदेश, भारत के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता, नारायणराव भागवत, और चाचा, माधवराव भागवत, दोनों रसायनज्ञ थे और वे बेंगलुरु में स्थित पूर्व में टाटा विज्ञान संस्थान (जो बाद में भारतीय वैज्ञानिक संस्थान बन गया) के एलम्नी थे। कमला ने ‘पारिवारिक परंपरा’ का पालन किया और वे 1933 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से रासायनिक रसायनशास्त्र (मुख्य) और भौतिक विज्ञान (उप) के साथ बीएससी डिग्री से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।
नाम | कमला सोहोनी |
जन्म | जन्म 24 फरवरी, 1912 |
जन्म स्थान | इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
क्षेत्र | बायोकेमिस्ट्री |
शिक्षा | भारतीय विज्ञान संस्थान, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
उपलब्धि | पीएचडी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला |
अनुसंधान | विटामिन के प्रभाव, खाद्य पदार्थों के पोषक मूल्य |
महत्वपूर्ण खोज | एंजाइम ‘साइटोक्रोम सी’ |
पुरस्कार और सम्मान | राष्ट्रपति पुरस्कार, पद्मा भूषण, पद्मश्री, और साहित्य एवं विज्ञान पुरस्कार |
वकालत | कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीजीएसआई) के सक्रिय सदस्य |
मृत्यु | 1998 में निधन हो गया |
Kamala Sohonie Career (कमला सोहोनी करियर)
कमला ने तब भारतीय वैज्ञानिक संस्थान में अनुसंधान फैलोशिप के लिए आवेदन किया, लेकिन उसकी आवेदन को तब के निदेशक और नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो0 सी0 वी0 रमन ने नकार दिया। रमन को यह मान्यता थी कि महिलाएं अनुसंधान करने के लिए पर्याप्त योग्य नहीं होती हैं। सोहोनी इस दृढ़ संकल्प के साथ रमन को गलत साबित करने के लिए उत्तेजित थीं, और उन्होंने अपना डॉ0पी0एच0डी0 पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज में अनुसंधान छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। उसकी योग्यता को मान्यता मिली और उन्होंने प्रसिद्ध जैव रसायनज्ञ सर फ्रेडरिक गोलैंड हॉपकिंस के तहत अध्ययन किया।
1939 में, सोहोनी ने कैम्ब्रिज से एक डॉ0पी0एच0डी0 बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर प्राप्त की। उनका थीसिस अनुसंधान सेंट्रोक्रोम सी पर केंद्रित था, जो सभी पौधों के ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। वे एक वैज्ञानिक अध्ययन क्षेत्र में भारतीय महिला के रूप में डॉ0पी0एच0डी0 हासिल करने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं, और उनकी उपलब्धि भारत में विज्ञान में महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
कमला सोहोनी योगदान और प्रशंसा
भारत लौटने के बाद, सोहोनी ने नई दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में जैव रसायनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने कूनूर में न्यूट्रिशन रिसर्च लैब में भी अनुसंधान किया। 1947 में, उन्होंने मुंबई में एक एक्चुअरी विज्ञानी एम0वी0 सोहोनी से विवाह किया और वे मुंबई चले गए। वह बॉम्बे के रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सायंस में एक विज्ञान सहायक के रूप में काम करने के बाद विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय साइंटिफ़िक नगरिकता को मिली।
सोहोनी की विज्ञान क्षेत्र में अनुभवी और व्यापक ज्ञान ने उन्हें अग्रणी वैज्ञानिक बना दिया। उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक पत्रिकाओं में अपने अनुसंधान परिणाम प्रकाशित किए और उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक सभाओं में भारतीय विज्ञान के लिए अपने योगदान को मान्यता दिलाई। उन्होंने वनस्पति रसायनशास्त्र, प्रोटीन रसायनशास्त्र, तत्व रसायनशास्त्र, बायोकेमिस्ट्री, और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुसंधान किया।
उनका योगदान केवल विज्ञान क्षेत्र में ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने महिलाओं को वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें उनकी योग्यता को पहचानने और सम्मानित करने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उनका योगदान महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना, और उन्होंने साबित किया कि महिलाएं भी वैज्ञानिक क्षेत्र में महान काम कर सकती हैं।
कमला सोहोनी पुरूस्कार
सोहोनी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसापत्रों से सम्मानित किया गया। उन्हें पद्मा भूषण, पद्मश्री, और साहित्य एवं विज्ञान पुरस्कार सम्मानित किया गया। उन्हें भारतीय विज्ञान अकादमी और बॉम्बे के रॉयल इंस्टीट्यूट के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। उन्होंने अपनी अनुसंधान की गुणवत्ता और योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त की।
कमला सोहोनी एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक, शिक्षक, और महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने विज्ञान क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य किया। उनका उदाहरण और उनके योगदान आज भी वैज्ञानिक समुदाय में महत्वपूर्ण हैं और महिलाओं को आगे बढ़ने और शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित करते हैं।
निष्कर्ष:
एक अग्रणी भारतीय बायोकेमिस्ट के रूप में कमला सोहोनी की यात्रा, उनके ज़बरदस्त शोध, और वैज्ञानिक समुदाय पर उनके स्थायी प्रभाव सभी के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करते हैं। ज्ञान की उनकी अथक खोज और लैंगिक पूर्वाग्रह पर उनकी जीत ने एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाना जारी रखा है।
कमला का जैव रसायन में योगदान, विशेष रूप से ‘नीरा’ पर उनका काम और इसके पोषण संबंधी लाभ, चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं। जैसा कि हम उन्हें उनकी जयंती पर याद करते हैं, आइए हम एक असाधारण वैज्ञानिक कमला सोहोनी के जीवन और विरासत का जश्न मनाएं, जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
FAQ.
कमला सोहनी ने किस विषय पर अपनी शोध की थी?
एंजाइम ‘साइटोक्रोम सी’ की खोज की
कमला सोहनी ने किस योगदान से वैज्ञानिक समुदाय में प्रमुखता हासिल की?
उनके द्वारा किए गए शोध परिणाम ने उन्हें वैज्ञानिक समुदाय में प्रमुखता दिलाई, खासकर भारतीय वैज्ञानिकों के बीच।
कमला सोहनी का जन्म कब हुआ था?
जन्म 24 फरवरी, 1912
कमला सोहनी की शिक्षा का विवरण दीजिए।
Kamala Sohonie ने मास्टर्स डिग्री किया और फिर विश्वविद्यालय ऑफ कैम्ब्रिज में अध्ययन किया। उन्होंने ब्रिटिश राज तकनीकी संस्थान में अपनी शोध पूरी की और डॉक्टरेट प्राप्त की।
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