Ateek Ahmad Biography in Hindi: आतंक का पर्याय बना एक गैंगस्टर जो जेल मे रहकर भी माफिया राज चलाए हुए था, वह अतीक अहमद अपराध की दुनिया का जाना-माना नाम है| वह एक गैंगस्टर से राजनीति में आया और आतंक की दुनिया मे बादशाहत जमाते-जमाते ही एक और गैंगस्टर के हत्थे चढ़कर मारा गया.
Ateek Ahmad Biography in Hindi (जीवन परिचय)
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को प्रयागराज(तत्कालीन इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश में एक गरीब परिवार में हुआ था| उसके पिता हाजी फिरोज अहमद प्रयागराज में ही ताँगा चलाते थे| अतीक का एक छोटा भाई खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ था| 1996 में उसका निकाह शाइस्ता परवीन से हुआ| जिससे उसे अली अहमद, उमर अहमद, असद अहमद, अहजान अहमद और अबान अहमद नामक पाँच बेटे हुए.
नाम | अतीक अहमद |
पिता का नाम | फिरोज अहमद |
पत्नी का नाम | शाइस्ता परवीन |
बच्चों के नाम | अली हमद, उमर अहमद, असद अहमद, अहजान अहमद, आबान अहमद। |
जन्म स्थान | इलाहाबाद (अब प्रयागराज) |
जन्मतिथि | 10 अगस्त 1962 |
उम्र | 60 साल |
जाति | मुस्लिम |
धर्म | इस्लाम |
राजनीतिक पार्टी | समाजवादी पार्टी (सपा) |
अतीक का कद लगभग 5 फ़ीट 7 इंच था| वह आधा गंजा था और उसकी आँखों का रंग काला था|
उसने प्रयागराज के मजीदिया इस्लामिया इंटर्मीडिएट कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ उसने 8 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की परंतु 1979 में वह दसवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया
अतीक प्रयागराज में ही पला-बढ़ा, और यहीं वह चाँद बाबा से मिला| दसवीं कक्षा में फेल होने के बाद चाँद बाबा ने उसे अपने संरक्षण में लेकर आपराधिक दुनिया के तौर-तरीके सिखाने शुरू कर दिए| धीरे-धीरे वह अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात होता चला गया| चाँद के आपराधिक साम्राज्य को कब्जाने के इरादे से उसे 1989 में चाँद बाबा की हत्या कर दी| और उसके बाद उसने डकैती, हत्या, कब्जा और रंगदारी जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया| जल्द ही वह एक दुर्दाँत अपराधी बन गया| कथित तौर पर वह गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत आरोपित होने वाला पहला अपराधी था|
अतीक अहमद राजनीतिक करियर
1989 में राजनीति में हाथ आजमाने के इरादे से उसने इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीता| उसने 1991 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और 1993 में समाजवादी दल में शामिल हो गया| और 1999 तक सपा में ही रहा| 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उसने तीसरी बार चुनाव जीता| 1996 में उसने फिर सपा उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर चुनाव जीता| 1999 में वह अपना दल में शामिल हो गया| और इसी पार्टी के टिकट पर 2012 में चुनाव लड़ा|
हालाँकि इस समय वह अपनी जमानत का इंतजार कर रहा था क्योंकि दस जजों ए उसका केस सुनने से मना कर दिया था| बाद में उसे जमानत मिली और चुनाव लड़ने की इजाजत भी मिली| लेकिन इस चुनाव में राजू पाल की विधवा पूजा पाल से चुनाव हार गया| और इसके बाद 2021 में वह ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में शामिल हो गया|
उस पर विभिन्न आरोपों में लगभग 102 आपराधिक मामले दर्ज थे| जिनमें राजू पाल हत्याकांड सर्वाधिक चर्चित रहा जिसमें उसने अपने खिलाफ चुनाव जीतने वाले राजू पाल को खुलेआम मरवा दिया| इसी अपराध में उसे सजा हुई थी और वह साबरमती जेल में था| यहीं पर उसने राजू पाल के गवाह उमेश पाल की हत्या की साजिश रची जिसे उसके बेटे असद के अतिरिक्त सात अन्य लोगों ने खुलेआम हत्या कर अंजाम दिया|
अतीक गैंग का सफाया कर फेमस होना चाहते थे शूटर
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटरों ने हाथ उठाकर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। उनका कहना है कि अतीक अहमद का कनेक्शन पाकिस्तान और ISI से था। अतीक के सिर में गोली लगी जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ करने के लिए साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया था। 13 अप्रैल 2023 को असद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया| इसके ठीक दो दिन बाद 15 अप्रैल को मेडिकल के लिए ले जाते समय ही पुलिस कस्टडी मे तीन हमलावरों ने उस पर विदेशी पिस्टल से 15 राउंड गोलियाँ चलाते हुए उसकी हत्या कर दी|
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